क्या स्कूल फीस पर धामी सरकार देगी राहत?

अधर में पढ़ाई, फीस को लेकर दबाव
स्कूलों ने भेजे नोटिस

DEHRADUN; कोरोना महामारी के कारण पूरा शिक्षा तंत्र ONLINE शिक्षा के भरोसे है। अभिभावक दोहरे नुकसान को झेल रहे हैं। एक तो बच्चां की पढ़ाई प्रभावित हो रही है तो दूसरी ओर मोबाईल डाटा एवं स्कूलांे के नोटिस का दबाव। इस सबके बावजूद पूरे कोरोना काल में स्कूलों ने अभिभावकों को किसी भी प्रकार से रियायत नहीं दी। कोरोना मैं स्कूल बंद हैं लेकिन फीस के मामले में किसी को कोई रियायत नहीं हैं। प्राईमरी कक्षाओं में एडमिसन केा लेकर पहले ही मोटी-मोटी फीस ली जा चुकी है।
कुछ स्कूलों ने फरमान जारी कर दिया है कि यदि फीस जमा नहीं की गयी तो आन लाईन व्यवस्था भी बंद कर दी जाएगी। ऐसे कई लोग जिनके काम काज कोरोना के कारण प्रभावित हुए हैं, वह स्कूलों का उत्पीड़न झेलने को मजबूर हैं। असल में शिक्षा का जुनून अब एक कारोबार बन चुका है जिसमें ऐसे लेाग हाथ आजमा रहे हैं जो अब तक खनन, शराब एवं रियल इस्टेट के धंधे में हाथ आजमा रहे थे। स्कूल खोलना एक व्यवसाय जैसा ही समझ कर ऐसे लोगों ने स्कूलों को कारोबार बना दिया है।
एक समय था जब शिक्षा का संचालन बु़द्धिजीवियांे के कंधों पर था लेकिन आज शिक्षा बिल्डरों, शराब कारोबारियां या फिर ऐसे लोगो के हाथों में है जिनके लिए यह क्षेत्र सिवाए एक कारोबार से अधिक कुछ नहीं है। शिक्षा के नाम पर जो लूट शुरू हुई है उसने अभिभावकों की कमर ही तोड़ कर रख दी। सांस लेने से लेकर सांस छोड़ने तक का पैसा भी स्कूल फीस के साथ वसूला जा रहा है।
शिक्षा विभाग आंखे बंद किए सब देख रहा है लेकिन बोलने को कुछ तैयार नहीं है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का बस नहीं चलता ऐसे पब्लिक स्कूलों पर कोई नियंत्रण नहीं है। पब्लिक स्कूला की मनमानी को लेकर कई आंदोलन और प्रदर्शन हो चुके हैं लेकिन शिक्षा को बिजनेस बनाने वाले कहीं से विचलित न दिखाई दे रहे हैं।

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