डिजिटल अरेस्ट कर पीडित से 45 लाख 40 हजार की धोखाधड़ी करने वाले मुख्य अभियुक्त को stf ने लखनऊ उ0प्र0 से किया गिरफ्तार
गिरोह द्वारा ट्राई डिपार्टमेंट व मुंबई पुलिस क्राईम ब्रांच का अधिकारी बन व्हाटसप पर Video Call/Voice Call के माध्यम से पीड़ित को लगभग 36 घण्टे तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया था।
अभियुक्त द्वारा फर्जी फर्म के करेन्ट बैक खाता खोलकर पीड़ित व्यक्तियों को डिजिटल अरेस्ट कर ठगी गई धनराशी अपने बैक खातों में स्थानान्तरित करवाते थे
अभियुक्त द्वारा साईबर धोखाधड़ी हेतु दूसरें व्यक्तियों के खातों का प्रयोग (कमीशन बेस्ड खाते) धोखाधडी की धनराशि प्राप्त करने हेतु करते थे इस्तेमाल
अभियुक्त द्वारा अन्य व्यक्तियों के करेन्ट बैंक खाते खोलकर उसमें इन्टरनेट बैंकिंग एक्टिव करवाकर स्वयं इन्टरनेट बैंकिंग किट प्राप्त कर लॉग-इन आईडी पासवर्ड बनाकर धोखाधडी हेतु करते थे प्रयोग
अभियुक्त के एच0डी0एफ0सी0 बैंक खाता में माह दिसम्बर 2023 से माह जुलाई 2024 करोडो रुपयों की धनराशि का लेनदेन प्रकाश में आया
अभियुक्त से घटना में प्रयुक्त 01 अदद मोबाइल फोन, 02 सिम कार्ड, 01 PNB चैक बुक बरामद किया गया ।
काशीपुर जनपद उधम सिंह नगर निवासी एक पीड़ित द्वारा माह जुलाई 2024 में एक अभियोग पंजीकृत कराया गया, जिसमें पीड़ित द्वारा बताया गया कि दिनांक 09 जुलाई 2024 को मेरे मोबाईल नम्बर पर अज्ञात मो०न0 से नार्मल/व्हाटसअप कॉल आया कि मैं ट्राई डिपार्टमेन्ट का अधिकारी बोल रहा हूँ, मुंबई काईम ब्रांच पुलिस ने आपके आधार नम्बर व रजिस्टर्ड मोबाईल नम्बर पर 17 केस पंजीकृत होने की सूचना दी है, अतः आपका सिम बन्द किया जा रहा है, यह सूचना हमें मुम्बई पुलिस काईम ब्रांच तिलकनगर के पुलिस अधिकारी हेमराज कोहली द्वारा दी गयी है, मैं आपकी बात उनसे करा रहा हूँ, आप उनको अपना स्पष्टीकरण देकर क्लियरेंन्स ले लें। तभी ऑटो रिकार्डिंग कॉल ट्रांन्सफर होने की आवाज आयी व वीडियो कॉल के माध्यम से मेरी वार्ता शुरू हो गयी जिसमें मुझे एक व्यक्ति पुलिस अधिकारी की वर्दी पहने हुए नजर आ रहा था तथा पुलिस अधिकारी के ऑफिस की तरह बैकग्राउण्ड दिखाई दे रहा था जिनके द्वारा प्रमाण हेतु मुझे व्हट्सअप पर अपनी पुलिस आईडी भी भेजी गयी, परन्तु शक्ल नहीं दिखाई दे रही थी।
उनके द्वारा मेरे नाम से एक एफआईआर की कॉपी भेजकर बताया कि आपका नम्बर व आधार कार्ड कैनरा बैंक मुबई में 20 करोड़ के हवाला घोटाले में संलिप्त पाये गये हैं, उनके द्वारा मेरे नाम से एक एटीएम कार्ड व कैनरा बैंक का स्टेटमेंट व्हाटसअप पर भेजा गया और कहा कि आप हमारे अभियुक्त हैं जब तक हमारी जाँच पूरी नही होती आप कॉल नहीं रखेंगे, क्योंकि आपसे पूछताछ होगी तब तक आप हमारी कस्टडी में रहेंगे आप अपने अकेले कमरे में रहे तथा हमारे निर्देशो का पालन करेंगे, बिना परमिशन के आप कोई कार्य नही कर सकते व कही नहीं जायेंगे वरना आपको पुलिस द्वारा जाँच में सहयोग नही करने पर तुरन्त अरेस्ट कर लिया जायेगा ।
जिससे मैं घबरा गया व उनकी बातों का उत्तर देने हेतु अकेले कमरे में चला गया व उनके कहे अनुसार कार्य करने लगा, उनके द्वारा कुछ देर बाद मेरे बैंक अकाउण्ट की डिटेल पूछनी शुरू की गयी तथा मेरे खाते में जमा धनराशि की जानकारी ली व कहा कि आपके खाते की धनराशि रिफाईन होगी, अगर आप जाँच में निर्दोष पाये जायेगें तो आपका पैसा वापस कर दिया जायेगा, जिस हेतु उनके द्वारा सुप्रीम कोर्ट रुलिंग व अन्य कागजात दिखाये गये, डरकर व इस मामले से बचने हेतु मेरे द्वारा उनके कहे अनुसार अपने बैंक खाते की धनराशि रिफाईनरी हेतु उनके कहे अनुसार अभियुक्त द्वारा बताये गये बैंक खाते में RTGS के माध्यम से दिनांक 10.07.2024 में 45,40,000/- (पैतालीस लाख चालीस हजार रू०) ट्रान्सफर कर दिये ।
जिसके बाद पीड़ित को अहसास हुआ कि उसके साथ कोई बहुत बड़ी धोखाधड़ी हुयी है, इस प्रकार उक्त लोगों द्वारा उसे जान माल का भय दिखाकर जबरन 45,40,000/- (पैतालीस लाख चालीस हजार रू०) की ठगी की गई है । पीड़ित इस घटना से इतना भयभीत हो गया कि वह तुरन्त उक्त घटना की शिकायत नही कर पाया ।
साइबर अपराधियों द्वारा पीडित को डिजिटल हाउस अरेस्ट/ डिजिटल अरेस्ट कर पीडित की जिन्दगी भर की कमाई धोखाधडी से हड़प ली गयी थी । प्रकरण की गम्भीरता के दृष्टिगत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एस0टी0एफ0 द्वारा घटना के शीघ्र अनावरण हेतु साईबर क्राईम पुलिस स्टेशन कुमायूँ परिक्षेत्र से पुलिस टीम गठित कर अभियोग के सफल एवं शीघ्र अनावरण हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये।साईबर क्राईम पुलिस द्वारा घटना में प्रयुक्त बैंक खातों/मोबाइल नम्बरों आदि की जानकारी हेतु सम्बन्धित बैंकों, सर्विस प्रदाता कम्पनी, तथा मेटा एवं गूगल आदि से पत्राचार कर डेटा प्राप्त किया गया और प्राप्त डेटा का गहनता से विश्लेषण करते हुये तकनीकी / डिजिटल साक्ष्य एकत्र कर इस घटना में शामिल मुख्य अभियुक्त को चिन्ह्ति किया गया एवं तलाश जारी करते हुये कई स्थानों पर दबिश दी गयी, अभियुक्त अत्यंत शातिर था और लगातार अपने ठिकाने बदल रहा था। किन्तु आखिरकार साईबर पुलिस टीम द्वारा अथक मेहनत एवं प्रयास से तकनीकी संसाधनों का प्रयोग करते हुये अभियोग में संलिप्त मुख्य अभियुक्त पंकज कुमार (उम्र-29 वर्ष) पुत्र राजेन्द्र प्रसाद निवासी चमनपुरा पो0ओ0 रामपुर अवस्थी थाना बरियारपुर जिला देवरिया उत्तर प्रदेश को लखनऊ, उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया गया जिसके कब्जे से घटना में प्रयुक्त मोबाइल हैण्डसेट, जिसमें वादी से 45 लाख 40 हजार की धनराशि स्थानान्तरित करवाये गयी, 02 सिम कार्ड तथा 01 P.N.B बैंक की चैक बुक बरामद हुआ। गिरफ्तार अभियुक्त द्वारा धोखाधडी में प्रयुक्त किये जा रहे उक्त बैंक खाते के विरुद्ध देश भर के विभिन्न राज्यों में अनेक शिकायतें व 02 अभियोग पंजीकृत होना पाया गयी।
अपराध का तरीका:
डिजिटल अरेस्ट,साइबर अपराध का एक ऐसा तरीका है जिसमें जालसाज, लोगों को उनके घरों में ही बंद करके उनसे धोखाधड़ी करते हैं। ये जालसाज फोन या वीडियो कॉल के जरिए डर पैदा करते हैं।साइबर अपराधियों द्वारा बेखबर लोगों को अपने जाल में फंसाकर धोखा देकर उनकी गाढी कमाई का रुपया हडपने के लिये मुम्बई क्राईम ब्रान्च, सी0बी0आई0 ऑफिसर, नारकोटिक्स डिपार्टमेण्ट, साइबर क्राइम, IT या ED ऑफिसर के नाम से कॉल कर ऐसी गलती बताते हुये जो आपने की ही न हो जैसे आपके नाम/ आधार कार्ड आदि आई0डी0 पर खोले गये बैंक खातों में हवाला आदि का पैसा जमा होने अथवा आपके नाम से भेजे गये कोरियर/पार्सल में प्रतिबंधित ड्रग्स, फर्जी दस्तावेज पासपोर्ट आदि अवैध सामग्री पाये जाना बताकर मनी लॉण्ड्रिंग, नारकोटिक्स आदि के केस में गिरफ्तार करने का भय दिखाकर व्हाट्सएप वाइस/वीडियो कॉल, स्काइप आदि के माध्यम से विवेचना में सहयोग के नाम पर अवैध रुप से डिजिटल हाउस अरेस्ट कर उनका सारा पैसा आर0बी0आई0 से जाँच/वैरिफिकेशन कराने हेतु बताये गये खातों में ट्रांसफर करवाकर धोखाधडी को अंजाम दिया जाता है।
इसके अलावा कभी-कभी वे झूठ बोलकर पीड़ित के रिश्तेदारों या दोस्तों को भी किसी अपराध या दुर्घटना में उनकी संलिप्तता के बारे में बताते हैं, जिससे पीड़ित घबरा जाए। इसके बाद ये जालसाज खुद को पुलिस या सरकारी अफसर बताते हुए कहते हैं कि अगर वे पैसे देंगे तो मामला बंद हो जाएगा। इतना ही नहीं, जालसाज तब तक उन्हें वीडियो कॉलिंग करते रहते हैं जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती। ये जालसाज कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं। कभी-कभी तो वे नकली पुलिस स्टेशन या सरकारी दफ्तर का सेटअप बना लेते हैं और असली पुलिस की वर्दी जैसी दिखने वाली वर्दी पहन लेते हैं।प्रारम्भिक पूछताछ में अभियुक्तों ने साईबर अपराध हेतु विभिन्न लोगों के नाम पर फर्जी करेन्ट बैंक खाते खोलकर उन खातो का प्रयोग साईबर अपराध में ठगी गयी धनराशि को जमा करने व निकालने में स्वीकार किया गया है । इन्टरनेट बैंकिंग के माध्यम से संचालित करने हेतु एसएमएस अलर्ट नम्बर व ईमेल आई0डी0 का प्रयोग अभियुक्तों द्वारा किया जा रहा था । इन बैंक खातों के बैंक स्टेटमैन्ट में करोड़ो रुपये के लेनदेन किया जाना पाया गया है । जाँच में यह भी प्रकाश में आया है कि इन बैंक खातों के विरुद्ध देश के विभिन्न राज्यों में अनेक साईबर अपराधों की शिकायतें व 02 FIR निम्नवत दर्ज हैं-
Acknowledgement No State District Police Station FIR NO.
20207240029110
ANDHRA PRADESH Vishakhapatnam Commissionerate Cyber Crime
23207240034323
WEST BENGAL Baruipur Police District Narendrapur PS 848/2024
30207240018284
ANDHRA PRADESH Vishakhapatnam Commissionerate MR Peta PS
31107240105082
GUJARAT Gandhinagar Infocity
32407240020801
ODISHA Angul Angul
33507240011375
UTTARAKHAND Udham Singh Nagar Kashipur 22/2024
33707240038626
TELANGANA Rachakonda Cyber Crime PS
33709240046689
TELANGANA Hyderabad City Asifnagarसाईबर अपराधियों के नाम व पता- पंकज कुमार पुत्र राजेन्द्र प्रसाद निवासी चमनपुरा पो0ओ0 रामपुर अवस्थी थाना बरियारपुर जिला देवरिया उत्तर प्रदेश
बरामदगी-
1- 01 मोबाइल फोन
2- 02 सिम कार्ड
3- 01 PNB चैक बुक