शिव महापुराण कथा: वर्चस्व का लालच ही पाप कर्म का कारण


*हर जगह हम प्रधान नही हो सकते__ आचार्य सतीश जगूड़ी*

देहरादून: सरस्वती विहार विकास समिति देहरादून द्वारा शिव शक्ति मंदिर सरस्वती विहार में शिव महापुराण कथा के तृतीय दिवस कथा व्यास आचार्य सतीश जगूड़ी ने बताया कि कलिकाल का हर प्राणी हर जगह प्रधान (श्रेष्ठ) बनना चाहता है ओर उसी चक्कर में पाप कर्म कर जाता है।

व्यास जी ने बताया कि यही ज्ञान देने के लिए इक बार ब्रह्म जी ओर विष्णु जी में युद्ध हो गया जिससे चारों तरफ हाहाकर मच गया तब शिव जी अग्नि स्तम्भ के रूप प्रकट हुए ब्रह्मा जी ओर विष्णु जी उस स्तम्भ के आदि ओर अंत ढूंढने निकले पर नही मिला पर ब्रह्मा जी ने झूठ बोल दिया कि मुझे इस स्तम्भ का अंत मिल गया तब शंकर जी प्रकट हुए ओर उनके क्रोध से भैरव जी प्रकट हुय ओर ब्रह्मा जी का शीश काट दिया तब शंकर जी ने कहा कि संसार में ब्यक्ति हर जगह श्रेष्ठ नही हो सकता कहीं उसकी पूजा होती है तो कहीं उसे पूजा करनी पढ़ती है।

इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष श्री पंचम सिंह बिष्ट वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री बीएस चौहान उपाध्यक्ष श्री कैलाश राम तिवारी सचिव श्री गजेंद्र भंडारी अनूप सिंह फर्त्याल, मूर्ति राम विजल्वाण, दिनेश जुयाल, विजय सिंह रावत, सोहन सिंह रौतेला,मंगल सिंह कुट्टी, पी एल चमोली, जयप्रकाश सेमवाल, आशीष गुसाई, जयपाल सिंह बर्थवाल, चिंतामणि पुरोहित, बग्वालिया सिंह रावत, कैलाश रमोला आदि उपस्थित थे।