“नाम” को लेकर उत्तराखंड समेत तीन राज्यों को सुप्रीम कोर्ट से झटका


देश के सर्वोच्च न्यायालय ने एक बार फिर दिखाया भाजपा को आईनाः- डॉ प्रतिमा सिंह

देहरादून:  सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के कांवड़ यात्रा से जुड़े एक आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार के निर्देश पर अंतरिम रोक लगा दी। कोर्ट ने तीनों राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है। कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को अपना नाम बताने की जरूरत नहीं है। वे सिर्फ यह बताएं कि उनके पास कौन-से और किस प्रकार के खाद्य पदार्थ उपलब्ध हैं।

इधर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता डॉ0 प्रतिमा सिंह ने बयान जारी करते हुए कहा कि न्यायालय द्वारा भाजपा सरकारों द्वारा जारी किये गये तुगलकी फरमान जिसमें दुकानदारों को अपना नाम अनिवार्य रूप से अपनी दुकान पर टांगने के अध्यादेश जारी किये गये थे, पर भाजपा की उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड एवं मध्य प्रदेश की सरकारों को नोटिस जारी कर एकबार फिर से आइना दिखाने का काम किया गया है।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता डॉ0 प्रतिमा सिंह ने कहा कि भाजपा नीत सरकारें बिना सोचे-समझे जिस प्रकार तुगलकी फरमान जारी कर रहे हैं उसमें भारत के सर्वोच्च न्यायालय को संविधान की रक्षा के लिए हस्तक्षेप करना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकारों के इस प्रकार के तर्कहीन निर्णयों के लिए मा0 न्यायालय द्वारा बार-बार भाजपा सरकारों को लताड़ लगाई जा रही है परन्तु भाजपा धर्म के नाम पर राजनैतिक रोटियां सेकने की हरकतों से बाज नहीं आ रही है।

डॉ0 प्रतिमा सिंह ने कहा कि न्यायालय ने अपने नोटिस में भाजपा सरकारों से पूछा है की इस आदेश का क्या अर्थ है, सरकार ये कैसे तय करेगी की कोई अपनी दुकान पर मालिक या काम करने वाले का नाम लिखे, सिर्फ ये लिखना महत्वपूर्ण है कि यहां पर मांसाहारी खाना मिलता है या शाकाहारी तय ग्राहक को करना है कि वह क्या चाहता है, परन्तु भाजपा सरकारों द्वारा देश की जनता पर अपना राजनैतिक ऐजेंडा जबरन थोपा जा रहा है जिससे भारत की धर्म निरपेक्ष छबि पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि सबका साथ सबका विकास का ढोल पीटने वाली भारतीय जनता पार्टी केवल धर्म के नाम पर लड़ाने की राजनीति करना चाहती है आम जनता के विकास से उसे कोई लेना देना नहीं है।