देहरादून स्थित हिमाचल प्रदेश के किन्नौर- वासियों ने परस्पर मिलन समारोह 2024 ‘तोशिम’ का सफल आयोजन किया
Dehradun : वैश्विक महामारी कोविड-19 के पश्चात पुनः विगत वर्षों के भांति इस वर्ष भी देहरादून में स्थित हिमाचल प्रदेश के किन्नौर-वासियों नें किन्नौरी पारम्परिक मिलन समारोह ‘तोशिम’ का आयोजन किया । जिसका आयोजन इस बार देहरादून के सीमाद्धार पर स्थित भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के Tiger Mess में किया गया ।
इस वर्ष तोशिम समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में किन्नौर सहित हिमालयी क्षेत्र के धार्मिक गुरू परम पूज्यनीय 9वें छोसगोन रिनपोछे तेनिज़न छेसकी ग्याछ़ो जी तथा लिशु इन्स्टिटयूट देहरादून के अध्यक्ष गोशे थुबतन ज्ञालछ़न नेगी रिनपोछे जी (लिप्पा)अन्य विशिष्ट अतिथि के रूप में उत्तराखण्ड राज्य के सेवानिवृत्त मुख्य सचिव सुभाष कुमार जी, (स्पीती )ओ० एन०जी० सी० से सेवानिवृत्त जी०एम० कर्मा नेगी जी ,(नमज्ञा )भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के वर्तमान ई०जी० आशोक कुमार नेगी , (मेंबर ) तथा बी० एस० एफ० के प्रशिक्षण केन्द्र के कमांडेंट महेश नेगी जी (रिब्बा )से पउपास्थित थे।
अन्य देहरादून के क्लेमेंट टऊन स्थित कार्ग्युद तथा ञिङमा गोनपा आदि के भिक्षु-भिक्षुणियां सहित देहरादून में निवास करने वाले सभी किन्नौर से सेवानिवृत्त तथा केन्द्रीय एवं राज्य सरकार के कर्मचारीगण एवं अध्ययनरत छात्र छात्राएं भी उपास्थितथे।
किन्नौर के तीनों खण्ड पूह ,कल्पा,ओर निचार तथा लहुल-स्पीती के निवासी कुल मिलाकर 150 के क़रीब लोग उपस्थित रहे इस दौरान सभी ने अपना परिचय के साथ प्रतिभा भी दिखाया साथ ही सभी प्रतिभागियों ने किन्नौरी परम्परिक गाना गा कर चोंरी तथा ढोल के साथ कायंड० शोन लगाकर नाचने गाते खाना , पीना मिष्ठान का लुत्फ़ उठाते हुए कार्यक्रम का सफल आयोजन हुआ ।
तोशिम मनाने का इतिहास
प्राचीन काल में जब किन्नौर शीतकाल में बर्फ के चादर से ढक जाता था, तब इस जिला का प्रदेश के अन्य स्थानों से संपर्क कट जाता था। यहाँ के निवासियों को शीतकाल में बाहरी कार्यों से भी थोड़ा बहुत फुरसत भी मिल ही जाता था । उस दौरान यहाँ के अधिकांश गाँव में तोशिम का आयोजन किया जता था ।इस प्रकार से समान आयु वर्ग के युवक-युवतियां प्रौढ़ आदि सभी तोशिम अथवा जोमशेन के माध्यम से सदा के लिए मित्र के बन्धन में बन्ध जाते हैं । कोनस छड॰एवं ओमेद छ़ङ सदा परस्पर गाँव तथा गाँव के बाहर भी एक दूसरों का जीवन -मरण आदि के कार्यों में सहयोग करते हैं ।जिसमें समान आयु वर्ग के युवक-युवतियां, अपने-अपने घरों से अनिर्मित खाद्य सामग्री को लेकर किसी एक के घर में उपास्थित होते थे तथा तोशिम समारोह का आयोजन करते थे प्राचीन काल से ही तोशिम समारोह के आयोजन करने का प्रमुख उदेश्य भी यही रहा है कि एक-दूसरे को अपने आस-पास के नए चेहरों को देखने और युवा और वृद्ध दोनों के दिलों में अपना प्रतिबिंब खोजने का समय। परस्पर सहयोग करना आपसी भाईचारा क़ायम रखने, जिसका आज भी उतना ही महात्व है ।