दो टूक निर्णय… रोजगार देंगे पर उत्तराखंड के युवाओं को नहीं

आखिर राजस्थान पर क्यों हुआ मेहरबान एम्स ऋषिकेश
भर्ती घोटालों के बाद उपकरण घोटालों के भी पर्दाफाश की संभावना
स्थापना के साथ ही विवादों में रहा है उत्तराखंड का एम्स

Rishikesh: अपने चुनावी घोषणा पत्र में बड़े-बड़े दावे करने वाले राष्ट्रीय दल रोजगार देने का वादा करते हैं लेकिन इनकी असल हकीकत उत्तराखंड में खुलकर सामने आ रही है। असल में यह तो कहा जाता है कि रोजगार देंगे लेकिन यह नहीं बताया जाए ताकि किसे? उत्तराखंड के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स में भर्ती का जो नजारा देखने को मिला है वह उत्तराखंड के युवाओं के साथ एक भद्दा मजाक है। असल में एम्स की गठन के साथ ही यहां की गतिविधियां विवादों के दायरे में रही है फिर चाहे वह अस्पताल स्टाफ की नियुक्ति का मामला हो या फिर सहज सुलभ उपचार का।

एम्स में नर्सिंग संवर्ग के पदों पर अस्पताल प्रबंधन ने सारी हदों को पार करते हुए उत्तराखंड के युवाओं को सिरे से नकार दिया और राजस्थान से 600 लोगों को नियुक्तियां दे दी । इससे भी बढ़कर एक ही परिवार के 6 लोग इन नियुक्तियों में शामिल है।

विवादों में रहने के कारण यहां की गतिविधियों की शिकायत केंद्र से की गई थी जिसके बाद यह सीबीआई का छापा पड़ा और स्थाई कर्मचारियों की भर्ती का यह मामला खुला। यहां अंदर खाने जो भी चल रहा था उस पर राज्य के स्वास्थ्य विभाग का कोई नियंत्रण ही नजर नहीं आ रहा है और ना ही राज्य सरकार यहां की व्यवस्थाओं पर कभी कोई एक्शन लेने की स्थिति में नजर आई। भर्तियां निकली तो उत्तराखंड के बजाय राजस्थान के 600 लोगों को नौकरियां दे दी गई।

उम्मीद की जा रही है कि इस भर्ती घोटाले में शामिल लोगों के नाम जल्दी सामने आएंगे और पता लगाया जाएगा कि आखिर क्यों एक ही राज्य से इतने बड़े पैमाने पर उत्तराखंड के एम्स में नियुक्तियां दी गई। क्या कोई बड़ा रैकेट तो इस दिशा में काम नहीं कर रहा है जिसमें अस्पताल प्रबंधन के तार भी सीधे तौर पर जुड़े हुए हो। निश्चित तौर पर भर्ती की प्रक्रिया में पारदर्शिता तो कतई नहीं अपनाई गई है और जांच के बाद संलिप्तता निश्चित तौर पर सामने आएगी।

ऋषिकेश एम्स में घोटालों को देखते हुए सीबीआई टीम उपकरणों की खरीद को लेकर भी जांच कर रही है और हैरानी नहीं होनी चाहिए कि इसमें भी कोई बड़ा घोटाला देखने को मिले।