आखिर क्यों उड़ी है उत्तराखंड में सिटिंग विधायकों की रातों की नींद??

विकास का रिपोर्ट कार्ड मांगने पर बगले झांक रहे अधिकांश विधायक
देवभूमि में नजर नहीं आ रहे इस बार मोदी लहर
अपने दम पर जुटाना होगा भाजपा-कांग्रेस को बहुमत, आप यूकेडी से अधिक उम्मीदें नहीं

Dehradun: उत्तराखंड में इस बार भारतीय जनता पार्टी के लिए सत्ता की राह आसान नहीं है और ना ही पिछले चुनावों की तरह इस बार मोदी लहर कहीं नजर आ रही है। भाजपा इस बात को लेकर परेशान है कि यदि मोदी लहर नहीं चली तो कहीं उत्तराखंड की परंपरा के अनुसार 5 साल बाद परिवर्तन का नियम इस बार भी लागू ना हो जाए। वही चुनाव परिणामों को लेकर सामने आ रहे सर्वे भी भाजपा को पूरी तरह से सत्ता पर काबिज होने के संकेत नहीं दे रहे हैं। इन परिस्थितियों में यह स्पष्ट है कि उत्तराखंड में इस बार कांटे की लड़ाई है और कांग्रेस कहीं ना कहीं भाजपा की राह में एक बड़ी रुकावट बन रही है।

उत्तराखंड में मतदान के लिए अब महज 1 सप्ताह से क
कम का समय रह गया है। चुनाव प्रचार के लिए राजनीतिक दलों को थोड़ी राहत मिली है लेकिन इससे मतदाताओं का रुझान कुछ बदल पाएगा इसकी संभावनाएं कम ही है। निश्चित तौर पर इस बार उत्तराखंड में चौंकाने वाले परिणाम मिलने वाले हैं और भाजपा जितना आसान जीत की राह को समझ रही है उतना नजर नहीं आ रहा है। चुनाव परिणाम प्रदर्शित करने वाली एजेंसियां भी उत्तराखंड में दोनों राष्ट्रीय दलों के बीच कांटे की टक्कर एवं सत्ता के करीब करीब बता रही हैं।

पिछले विधानसभा चुनाव में मोदी लहर का परिणाम भाजपा के पक्ष में एक जादू बनकर सामने आया था लेकिन अब परिस्थितियां पूरी तरह से बदली हुई है और कम से कम उत्तराखंड के अंदर मोदी लहर से ज्यादा उत्तराखंड में विकास के मुद्दे पर जवाब मांगे जा रहे हैं। कई स्थानों पर विधायकों को क्षेत्रवासियों ने खरी खोटी सुनाने के साथ ही विकास का रिपोर्ट कार्ड भी मांगा है। यानी कि स्पष्ट है कि इस बार लहर नहीं बल्कि रिपोर्ट कार्ड जीत का कारण बनेगा फिर वह चाहे सत्ता पक्ष के विधायक का हो या फिर अन्य दलों का।

टिकटों के बंटवारे के बाद से ही भाजपा में असंतोष पूरी तरह से पनपा हुआ है। भाजपा अपना बिखरा हुआ कुनबा समेटने में नाकामयाब दिख रही है तो वहीं कांग्रेस के लिए भी मुस्लिम यूनिवर्सिटी जैसे मुद्दे एक मुसीबत बने हुए हैं। इस बार स्पष्ट नहीं है कि भाजपा या कांग्रेस में से कौन स्पष्ट तौर पर बहुमत से सरकार बनाने वाला है?

बात करें सरकार बनाने के लिए बाहरी दलों से समर्थन की तो आम आदमी पार्टी और यूकेडी से कोई अधिक उम्मीदें नहीं है। आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री का चेहरा अजय कोठियाल अपनी ही सीट निकाल ले तो यही पार्टी की एक बड़ी उपलब्धि होगी। इन परिस्थितियों में भाजपा या कांग्रेस के लिए बाहरी दलों का समर्थन लेना एक चुनौतीपूर्ण कदम बन सकता है। इन दोनों दलों को अपने ही दम पर बहुमत का आंकड़ा जुटाना होगा।