उत्तराखंड मंे खदेड़े जा रहे हैं नकारे विधायक-नेता

21 साल का लेखा-जोखा चाहिए जनता को
कई क्षेत्रांे में विधायकांे को खरी-खरी, तो कहीं जोरदार विरोध
उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में इस बार मतदाताओं का रूझान कुछ अलग ही हैं। जनता को अब विकास के वादांे का परिणाम चाहिए। जनता को नेताओं द्वारा किए गए वादो एवं अपने विधायकांे से उनके क्षेत्र मंे किए गए विकास कार्यो का जवाब चाहिए। खासतौर से दल बदलने वाले नेताओं की इस बार खैर नहीं है। जनता का भी ऐसे नेताओं से विश्वास उठ गया है।
उत्तराखंड के गांव-मैदान में प्रचार के लिए जाने वाले विधायकांे एवं उनके समर्थकांे को इस बार मतदाताओं की खरी खोटी सुनने को मिल रही है। जाति एवं धर्म की राजनीति काम नहीं आ रही हैं। देवभूमि के शिक्षित मतदाता अपने नेताओं से 21 साल का लेखा जोखा मांग रहे हैं। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जहां विधायकांे एवं उनके समर्थकों को लोगों ने अपने क्षेत्र में ही नहीं घुसने दिया या फिर उनसे अब तक के कार्यकाल का हिसाब मांगा। नेताआंे के पास अभी भी सिवाए आश्वासन एवं वादांे के कुछ नहीं हैं।
उत्तराखंड के भविष्य के लिए यह बेहद सुखद है कि यहां का मतदाता अब सजग है, वह अपने अधिकार जानता है और अपने वोट की कीमत भी। यह तो अब निश्चित है कि जनता से झूठे वादे करने का प्रंपंच अब काम आने वाला नहीं है।