दरोगा निर्विकार चौधरी ने लगाए थे डीजीपी पर आरोप
रिटायर होने के बावजूद नहीं मिल रहे थे देयक लाभ
Dehradun: उत्तराखंड पुलिस के चर्चित निर्विकार दरोगा प्रकरण में दर्ज दोनों मुकदमें कोर्ट से वापस होने के बाद दरोगा को उनक विभागीय देयक मिलने का रास्ता भी साफ हो गया हैं। मामला तत्कालीन डीजीपी बीएस सिद्धू के खिलाफ प्रेस वार्ता करने और इसके इलेक्ट्रानिक मीडिया में प्रसारित होने से जुड़ा है। इस संबंध में सरकार के प्रार्थनापत्रों को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने इन मुकदमों का निपटारा कर दिया है। निर्विकार पर आरोप था कि उन्होंने बिना उच्चाधिकारियों को बताए अपने तत्कालीन डीजीपी व अन्य पर आरोप लगाते हुए मीडिया को संबोधित किया। विभागीय कार्रवाई के दौरान ही दरोगा निर्विकार सेवानिवृत्त भी हो गए थे
बता दें कि यह मामला वर्ष 2014 का है। उस वक्त दरोगा निर्विकार चौधरी तत्कालीन डीजीपी बीएस सिद्धू पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने पर सुर्खियों में आए थे।
मुदकमे की जांच के दौरान उन्होंने 17 मई 2014 को एक होटल में प्रेस कांफ्रेंस की। उनके खिलाफ थाना कोतवाली में पुलिस बल अधिकारी का निर्वंधन अधिनियम 1966 की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था।
निर्विकार चौधरी को इस कार्रवाई के दौरान निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने एक टीवी चैनल में भी अपना बयान जारी कर अपने इन आरोपों को दोहराया था। मीडिया पर बिना अनुमति के अपने बयान देने पर l इसे लेकर उनके खिलाफ एक और मुकदमा इन्हीं धाराओं में दर्ज किया गया। इनमें से एक मुकदमा सीजेएम कोर्ट में चल रहा था।
दूसरा मामला एसीजेएम तृतीय कोर्ट में था। गत सितंबर को शासन ने इन मुकदमों को वापस लेने को कोर्ट में प्रार्थनापत्र दिया गया था। निर्विकार चौधरी के अधिवक्ता एसके धर ने बताया कि इन मामलों में दूसरे पक्ष को भी सुना गया। इसमें उन्होंने अपील की थी कि वह जनहित में नहीं हैं। कोर्ट ने इन तर्कों को खारिज करते हुए मुकदमों वापस लेने के सरकार के प्रार्थनापत्रों को स्वीकार कर लिया है।
कोर्ट ने दोनों मुकदमों का ही निपटारा कर दिया गया है।