मिली 1.29 खुराक, प्रयोग हुई मात्र 22 लाख
सरकारी व्यवस्थाओं पर पड़ा जनता का विश्वास
नई दिल्ली: पूरे देश में भले ही कोरोना की वैक्सीन हर नागरिक तक पहुंचने में कुछ परेशानियां सामने आ रही है लेकिन निजी अस्पतालों की कहानी कुछ अलग ही है। सरकारी व्यवस्थाओं से खुद को ऊपर समझने वाले निजी अस्पताल वैक्सीन को लगाने में भी खेल कर रहे हैं और जितनी वैक्सीन केंद्र सरकार की ओर से इन अस्पतालों को मिली है वह अब तक लगाई नहीं गई है। इसके बावजूद निजी अस्पतालों द्वारा और अधिक वैक्सीन की मांग करने के पीछे कई प्रकार के सवाल भी खड़े हो रहे हैं।
आंकड़ों के अनुसार पिछले महीने में प्राइवेट अस्पतालों में केवल 17 फीसदी खुराक का ही इस्तमाल किया गया था. इसके बाद भी उनके पास बड़े पैमाने पर वैक्सीन का स्टॉक बचा हुआ है।
सरकार द्वारा जारी प्रेस रिलीज के अनुसार देश भर में वैक्सीन की 7.4 करोड़ खुराकें उपलब्ध कराई गईं थी, जिसमें से प्राइवेट अस्पतालों को 1.85 करोड़ डोज दी गईं थीं। मई के महीने में इन प्राइवेट अस्पतालों को 1.29 करोड़ खुराक उपलब्ध कराई गई थी, जिसमें से सिर्फ 22 लाख टीकों का इस्तेमाल हुआ है।
सीधे तौर पर माना जा रहा है कि निजी अस्पताल इन व्यक्तियों को ऊंचे दामों पर लगा रही है जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पहले ही कहा जा चुका है कि निजी अस्पताल वैक्सीन की कीमत के अलावा मात्र डेढ़ सौ रुपए सर्विस चार्ज के लिए सकेंगे। बावजूद इसके सरकारी अस्पतालों की अपेक्षा प्राइवेट अस्पतालों में वैक्सीन ऊंचें दामों में बेची जा रही जिससे देशभर में नागरिक सरकारी टीकाकरण योजना पर ही अधिक विश्वास कर रहे हैं।
निजी अस्पतालों की ऐसी ही मनमानी को देखते हुए देशभर में अब सरकारी अस्पतालों व टीकाकरण केंद्रों पर ही वैक्सीन लगाने की होड़ मची हुई है। केंद्र सरकार व तीसरी लहर के संभावनाओं से पूर्व अधिक से अधिक टीकाकरण के लक्ष्य को पूरा करना जा रही है।